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पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस की बर्बादी की तस्वीर, भारत ने रावलपिंडी की आंख फोड़ी, चीन भी नहीं रोक पाया तबाही

इस्लामाबाद: भारत ने पाकिस्तान के ड्रोन हमलों का जवाब दुश्मन के एयरबेस पर हवाई हमले से दिया। इनमें सबसे महत्वपूर्ण रावलपिंडी का नूर खान एयरबेस है। इस एयरबेस को भारत ने बर्बाद कर दिया है। इसे पाकिस्तान के सीने पर भारत का प्रहार कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। नूर खान एयरबेस पाकिस्तान के रावलपिंडी में स्थित है। इसे पाकिस्तान का सबसे मजबूत सैन्य ठिकानों में से एक माना जाता है। यहां पर न सिर्फ पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली हवाई उपकरण तैनात हैं, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए चीनी एयर डिफेंस सिस्टमों का जाल भी बिछाया गया है। पाकिस्तान के अधिकतर वीआईपी यहीं से उड़ान भरते हैं। यहां पाकिस्तानी वायुसेना के एयर मोबिलिटी कमांड का मुख्यालय भी है।

भारत ने नूर खान एयरबेस को किया तबाह

सैटेलाइट तस्वीर में देखा जा सकता है कि भारत ने पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक (DG ISPR) ने आधिकारिक तौर पर PAF बेस नूर खान पर भारतीय हमले को स्वीकार किया। 10 मई 2025 को, नूर खान बेस को भारतीय वायुसेना ने लगभग 2 बजे निशाना बनाया। स्थानीय लोगों ने एयरबेस में विस्फोटों की सूचना दी और DG ISPR ने इसकी पुष्टि की। भारत ने नूर खान एयरबेस पर रडार प्रतिष्ठानों और विमान हैंगर सहित प्रमुख परिचालन बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने और निष्क्रिय करने के लिए सटीक-निर्देशित हथियारों का इस्तेमाल किया गया था।

नूर खान एयरबेस इतना खास क्यों है?

पाकिस्तान वायुसेना बेस नूर खान को मूल रूप से आरएएफ चकलाला के रूप में स्थापित किया गया था। इसे पहले पीएएफ बेस चकलाला के रूप में जाना जाता था। चकलाला पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रावलपिंडी में स्थित एक प्रमुख पाकिस्तान वायु सेना एयरबेस है। पूर्व बेनजीर भुट्टो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को एयरबेस के बुनियादी ढांचे में एकीकृत किया गया है। बेस में पीएएफ कॉलेज, चकलाला, जो विमानन कैडेटों को समर्पित है, और फजिया इंटर कॉलेज नूर खान जैसे शैक्षणिक संस्थान भी हैं। यह एयर मोबिलिटी कमांड के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है और रसद, वीआईपी परिवहन और रणनीतिक संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ट्रांसपोर्ट और लड़ाकू विमानों का गढ़

नूर खान एयरबेस पाकिस्तानी वायुसेना के ट्रांसपोर्ट और लड़ाकू विमानों का होमबेस है। 1965 के युद्ध में पाकिस्तान ने इसी एयरबेस से तीन सी-130बी ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से पैरा कमांडो टीम को भारत के हवाई क्षेत्र में उतारा था। बड़ी बात यह है कि उनमें से सिर्फ 20 कमांडो ही जिंदा वापस लौटे थे। वर्तमान में इस बेस पर पाकिस्तानी वायुसेना के स्क्वाड्रन नंबर 6, 10, 12 और 41 तैनात हैं। यह बेस सी-130 हरक्यूलिस और आईएसआर (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, रिकोनैसेंस) प्लेटफॉर्म जैसे विमानों की मेजबानी के लिए जाना जाता है।

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