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पहलगाम हमले के आतंकियों के करीब पहुंची सेना, तड़प-तड़पकर तोड़ेंगे दम, टारगेट-8 पर अब नजर

श्रीनगर: पहलगाम की बैसरन वैली में खुशियां मानने गए पर्यटकों को धर्म पछूकर परिवारों के सामने गोली मारने वाले आतंकियों पर सुरक्षाबलों ने शिकंजा कर दिया है। पिछले 10 दिनों में सुरक्षाबलों का सर्च ऑपरेशन में काफी प्रगति हुई है। बैसरन वैली में टूरिस्ट पर अटैक के बाद अभी तक सुरक्षाबलों द्वारा सैकड़ों लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। इसमें मिले इनपुट के आधार पर आतंकियों की खोजबीन जारी है। सेना और दूसरे सुरक्षाबलों की मुस्तैदी से आतंकियों के घने जंगलों में बनी गुफाओं में छिपे होने की संभावना है। ऐसे में पूरे ऑपरेशन में जल्द बड़ी सफलता मिलने की उम्मीद की जा रही है। सुरक्षाबल घने जंगलों के बीच चप्पा-चप्प खंगाल रहे हैं। गुरुवार को NIA चीफ सदानंद दाते भी बैसरन वैली पहुंचे।

टारगेट पर ये आठ एरिया
पहलगाम आतंकी हमले में शामिल चारों आतंकवादियों के घने जंगलों के छिपे होने की आंशका पहले दिन से व्यक्त की जा रही है। आशंका है कि ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) और प्राकृतिक गुफाएं हमलावरों की मदद कर रही हैं। आतंकी हमले के अब तक मिली जानकारी और खुफिया इनपुट के बाद सुरक्षाबलों ने कुपवाड़ा, हंदवाड़ा, अनंतनाग, त्राल, पुलवामा, सोपोर, बारामुल्ला और बांदीपुरा में निगरानी बढ़ा दी है। आतंकियों के इन्हीं इलाके में होने की आशंका जताई जा रही है। इतना ही नहीं ओजीडब्ल्यू और हमलावरों के बीच संबंधों का पता लगाने के लिए कॉल रिकॉर्ड और अन्य तकनीकी डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। कश्मीर में पुलिस ने स्थानीय लोगों पर कुछ संगठन से दूर रहने की चेतावनी जारी की है। पुलिस संदिग्धाें और मददगारों की भी निगरानी कर रही है।

गोली खाएं या फिर…तड़पकर मरेंगे
पहलगाम आतंकी हमले के बाद जिस तरह से कश्मीर के दक्षिणी और कुछ उत्तरी हिस्से में सर्च ऑपरेशन चल रहा है। उसके बाद यह तय माना जा रहा कि बैसरन में खून बहाने वाले बच नहीं पाएंगे। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अनंतनाग के घने जंगल और प्राकृतिक गुफाएओं में आतंकी छिपे हो सकते हैं। इसलिए काफी सर्तकता के साथ पूरा ऑपरेशन आगे बढ़ रहा है। खुफिया रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। इसलिए वे इन गुफाओं का सहारा ले रहे हैं। सुरक्षाबलों ने जिस तरह से शिकंजा कसा है। ऐसे में इन आतंकी के गोली का शिकार बनने या फिर भूख से मरने की संभावना है। सुरक्षा एजेंसियां का अनुमान है कि आतंकी संभवत: एक सप्ताह से अधिक समय तक जीवित रहने के लिए पर्याप्त राशन लाए थे। आतंकी हमले के 10 दिन बाद अब उसके भी खत्म होने की संभावना बढ़ी है। ऐसे में उनकी भूख उन्हें बाहर निकलने पर मजबूर कर सकती है।

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