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ट्रंप के डर और भारत के भय से घुटनों पर आया चीन, ‘ढीली’ पड़ गई नीति, गिरती इकॉनमी को संभालने में जुटा

नई दिल्ली. चीन ने 14 साल बाद पहली बार अपनी पॉलिसी के रुख में बदलाव किया है. वैश्विक बाजारों के लिए यह बहुत बड़ी खबर है. 2025 में अपनी अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने के लिए चीन ने ‘मध्यम रूप से ढीली’ (Moderately Loose) पॉलिसी अपनाने का निर्णय लिया है. इस बदलाव का उद्देश्य व्यापारिक तनावों और संभावित चुनौतियों का सामना करना है, खासकर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी के मद्देनजर. इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत के साथ कंपीटिशन को भी एक वजह माना जा रहा है.

पोलित ब्यूरो ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य रियल एस्टेट और इक्विटी बाजारों में स्थिरता लाना है. इसके अलावा, अप्रत्याशित चक्रीय समायोजन (Unconventional counter-cyclical) को मजबूत करना भी इसका मुख्य उद्देश्य है. पहले, चीन की मौद्रिक नीति को ‘सावधान’ (Prudent) रुख के साथ संचालित किया जा रहा था. पोलित ब्यूरो ने यह भी जोर दिया कि नीति निर्माण में ‘सभी उपकरणों’ का बेहतर उपयोग करना होगा. इसमें घरेलू मांग को बढ़ाना, विदेशी निवेश को स्थिर रखना और विदेशी व्यापार में सुधार लाना शामिल है.

क्यों लिया गया यह फैसला?
पिछली बार चीन ने 2008 की वैश्विक वित्तीय मंदी के बाद ‘मध्यम रूप से नरम’ मौद्रिक नीति अपनाई थी. मौजूदा निर्णय अमेरिकी ट्रेड वॉर और घरेलू बाजार की चुनौतियों के मद्देनजर लिया गया है. इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप के अगले महीने राष्ट्रपति पद पर लौटने की तैयारी और उनके द्वारा चीनी निर्यात पर नए टैरिफ की धमकी भी इस फैसले का कारण हो सकती है.

पोलित ब्यूरो ने कहा कि यह जरूरी है कि घरेलू खपत को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं. “हमें खपत को बढ़ावा देने, निवेश की दक्षता में सुधार करने और सभी दिशाओं में घरेलू मांग को विस्तार देने की आवश्यकता है

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