



सरगुजा राज परिवार के महाराज और छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के राज पैलेस से लगे कोठीघर के परिसर से एक दुर्लभ और ऐतिहासिक महत्व की पीतल की हाथी की मूर्ति चोरी हो गई है. यह घटना 5 और 6 अगस्त 2025 की दरम्यानी रात की बताई जा रही है. इस पुरे मामले में कोतवाली पुलिस ने अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू कर दिया है. कोठीघर में हुई इस चोरी की वारदात सीसीटीवी कैमरे में रिकार्ड हो गई है जिसके आधार पर ही पुलिस अब आज्ञात चोर की खोजबीन में जुटी गई है.



छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह के पैलेस से अज्ञात चोरों ने दीवार फांदकर मुख्य द्वार में रखे दो पीतल के हाथियों में से एक हाथी को चुरा लिया है. चोरी हुई हाथी की प्रतिमा शुद्ध पीतल की बताए जा रही है जिसका वज़न तकरीबन 15 किलो के आसपास था. बताया जा रहा है कि उक्त चोरी हुई हाथी की प्रतिमा एंटीक पीस थी और रियासत कालीन थी. इसलिए यह बेशकीमती थी. घटना की सुबह जब कोठी घर के कर्मचारियों को दो हाथियों में एक चोरी होने की जानकारी हुई तो उन्होंने ने तत्काल कोठी घर के मैनेजर को इसकी जानकारी दी. मैनेजर ने कोठी घर पहुंचकर जब सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को खंगाले तो पाया कि एक अज्ञात चोर कोठी घर की दीवार फांद कर अंदर प्रवेश किया और मुख्य द्वार में रखे एक पीतल के हाथी को चोरी कर ले गया है. इसके बाद मैनेजर ने इसकी रिपोर्ट कोतवाली थाने में दर्ज करा दी है.
कोठी घर की पहचान और गरिमा का प्रतीक पीतल के हाथी
कोठी घर का ताल्लुकात सीधे तौर पर सरगुजा राजपरिवार से जुड़ा हुआ है. आज भी सरगुजा राजपरिवार के सदस्य महाराज की एस सिंहदेव उनके छोटे भाई और भतीजा सहित अन्य सदस्य यहां रहते हैं. इस कोठी घर की देखभाल और साफ-सफाई के लिए कुछ 15 कर्मचारियों की टीम यहां काम करती है और वे कोठी घर से लगे सर्वेंट क्वार्टर में रहते हैं. इसके साथ ही कोठी घर में राजपरिवार से जुड़े हुए बहुमूल्य पुराने जमाने के समान, जंगली जानवरों के ट्रॉफी, झूमर, सहित इत्यादि समान देखें जा सकते हैं. आम दिनों में पूर्व डिप्टी सीएम जब अम्बिकापुर में रहते हैं तो कोठी घर खचाखच भरा रहता है. वर्तमान में टीएस सिंह देव अमेरिका के प्रवास में वही उनके भतीजे आदितेश्वर शरण सिंह देव भी भोपाल में है जिसके कारण कोठी घर सुनसान था जिसका फायदा उठाकर अज्ञात चोर ने चोरी की घटना को अंज़ाम दिया है.
हाथियों से पुराना नाता
सरगुजा राजपरिवार का इतिहास काफी पुराना है. यही कारण है कि सरगुजा राजपरिवार में हाथियों का एक अलग स्थान रहा है. जिसके प्रमाण इतिहास के पन्नों से लेकर आजादी की लड़ाई में भी देखने को मिलता है. सरगुजा के इतिहास को करीब से जानने वालों की माने तो देश के आजादी के समय तक सरगुजा रियासत में 370 हाथियों का एक बेड़ा था. पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव के दादा महाराज रामानुज शरण सिंह देव ना सिर्फ एक क बेहतरीन शिकारी थे बल्कि जंगली हाथियों को नियंत्रित करने में उनकी कमाल की दक्षता भी थी. बताया तो यह भी जाता है कि मुग़ल काल में सरगुजा स्टेट दिल्ली दरबार को लगान के रूप में युद्ध कौशल में दक्ष हाथी दिया करते थे जो लम्बे समय तक चलता रहा.
जनता से अपील
घटना की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में जांच चल रही है. स्थानीय नागरिकों से अपील की गई है कि यदि किसी के पास घटना से जुड़ी कोई भी जानकारी हो तो तत्काल पुलिस को सूचित करें. राज परिवार एवं कोठीघर प्रबंधन ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की है, ताकि दोषी को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके और ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.
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