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हाईकोर्ट की चीख अनसुनी, अज्ञात वाहन ने 17 मवेशियों को बेरहमी से कुचला, 13 ने मौके पर ही तोड़ा दम

कंचनपुर: बिलासपुर हाईकोर्ट की टिप्पणी ‘सड़कों पर मवेशी नहीं दिखना चाहिए’… बेअसर नजर आ रही है। एक बार फिर बिलासपुर जिले के ग्राम बारीडीह में सोमवार रात अज्ञात वाहन ने 17 गोवंशों को बेरहमी से कुचल दिया। इस घटना में 13 मवेशियों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि चार गंभीर रूप से घायल हो गए। यह मामला रतनपुर थाना क्षेत्र का है। हाईकोर्ट ने सड़कों को मवेशी-मुक्त बनाने के लिए बार-बार सख्त निर्देश दिए हैं। बावजूद इसके प्रदेश में ऐसी घटना थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।

रतनपुर के थाना प्रभारी नरेश चौहान ने बताया कि अज्ञात वाहन के चालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। घटना के बाद रतनपुर तहसीलदार और कोटा एसडीओपी की मौजूदगी में मृत मवेशियों को दफनाया गया। ग्रामीणों ने मवेशी मालिकों और लापरवाह वाहन चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

बिलासपुर हाईकोर्ट में 23 अक्टूबर 2024 को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने मवेशियों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को ‘बेहद दर्दनाक’ करार देते हुए जिम्मेदार विभागों को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने साफ कहा था कि भले ही आठ साल लगें, सड़कों पर मवेशी नहीं दिखने चाहिए। इसके बावजूद जिम्मेदार विभाग आंखें मूंदे बैठे हैं और सड़कों पर मवेशियों का खून बह रहा है।

पशु मालिकों की लापरवाही पर भी सवाल

यह घटना कोई पहली नहीं है। जिले में गोवंशों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। स्थानीय लोगों का गुस्सा तब और भड़क उठा, जब उन्होंने मवेशियों को लावारिस छोड़ने वाले मालिकों की लापरवाही पर सवाल उठाए। ग्रामीणों का कहना है कि मवेशी मालिक दूध निकालने के बाद अपने पशुओं को बांधकर रखने की बजाय सड़कों पर छोड़ देते हैं।

ये मवेशी सड़कों पर भटकते हैं, बैठते हैं और तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर अपनी जान गंवा देते हैं। रात के अंधेरे में वाहन चालक भी रफ्तार कम करने की बजाय मवेशियों को कुचलते हुए निकल जाते हैं, जिससे न केवल पशुओं की जान जाती है, बल्कि सड़क हादसों का खतरा भी बढ़ता है।

 

मवेशी की समस्या पर हाईकोर्ट की टिप्पणियां

जुलाई 2023: चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा कि प्रदेश के ज्यादातर शहरों में सड़कों पर मवेशियों का जमाव दिखता है। कोर्ट ने नेशनल हाईवे, निगम और प्रशासन से जवाब मांगा कि उन्होंने इस मुद्दे पर अभी तक क्या किया है और आगे क्या सुझाव हैं।

सितंबर 2024: हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से सड़कों के खराब रखरखाव और आवारा पशुओं से उत्पन्न खतरों का समाधान करने का आदेश दिया। अदालत ने 15 दिनों के भीतर एक घोषणापत्र जारी करने का आदेश दिया था।

अक्टूबर 2024: हाईकोर्ट ने बिलासपुर की खराब सड़कों और मवेशियों के जमावड़े पर राज्य शासन, एनएचएआइ और नगर निगम की कड़ी आलोचना की है। बेंच ने कहा कि सिर्फ दिखावे की पेट्रोलिंग और रेडियम बेल्ट लगाने से काम नहीं चलेगा।

जनवरी 2025: हाईकोर्ट ने सरकार से अपने पूर्व के आदेश के पालन की जानकारी मांगी। सरकार ने एसओपी का प्रारूप अंतिम रूप देने के लिए 15 दिन का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

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