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जल संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धि, देश में सातवें स्थान पर आया छत्तीसगढ़ का बालोद

बालोद जिले ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है और एक बार फिर छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पूरे देश में बालोद का डंका बजा है. दरअसल, जल संरक्षण की दिशा में बालोद जिला देश में सातवें स्थान पर है. जिला पंचायत सीईओ डॉ. सजंय कनौजे की माने तो जल संरक्षण से संबंधित जिले में किए जा रहे कार्य जैसे- वाटर बॉडी, जल वाहिनी, चेक डैम, स्टॉप डैम, सोख्ता गड्ढा, मैजिक फीट. साथ ही जल संरक्षण से संबंधित जितनी भी एक्टिविटी की जा रही है, इन सभी पैरामीटर को मिलाकर जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जो रैंकिंग जारी किया गया है, उसमें बालोद सांतवें स्थान पर मौजूद है.

बालोद में जल जतन अभियान की शुरुआत

जिला पंचायत सीईओ डॉ. सजंय कनौजे ने बताया कि जिले में जल संरक्षण को लेकर कलेक्टर के मार्गदर्शन में विशेष प्रयास किया जा रहा है. दरअसल, जिले में जल जतन अभियान की शुरुआत की गई है, जिसके तहत सभी ब्लॉकों में मनरेगा, अन्य विभागों के कन्वर्जन से सोख्ता गड्ढा का निर्माण करवाया जा रहा है.

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उन्होंने बताया कि जल बॉडी, नए तालाब, तालाब गहरीकरण का कार्य, कुंआ व चेक डैम का कार्य भी किया जा रहा है.  इसके अलावा जितने कार्यालय हैं, वहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग का कार्य और प्रत्येक ग्राम पंचायत में जल जतन समिति व जल वाहिनी का गठन किया गया है.

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जल संरक्षण की दिशा में किए जा रहे हैं बेहतर कार्य

सजंय कनौजे ने आगे बताया कि आईसी एक्टिविटी और जल संरक्षण के माध्यम से लगातार प्रयास किया जा रहा है. अधिक से अधिक लोगों को जनभागीदारी के माध्यम से जोड़ रहे हैं. इस कार्य में परिणाम अच्छा मिला है. आने वाले दिनों में इसके अच्छे परिणाम आएंगे.  बता दें कि जिले में पानी के संरक्षण व संवर्धन के उपाय सुनिश्चित करने के लिए 12 से 21 मार्च तक जल जतन पखवाड़ा अंतर्गत विभिन्न आयोजन किए गए.

जिले में चलाया जा रहा जल जतन अभियान

सीईओ डॉ. कन्नौजे ने कहा कि जिले में जल संरक्षण को लेकर, जो अभियान चलाया जा रहा है वो निरंतर जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि हमारे पास उपयोगी पानी के स्रोत बहुत ही सीमित है. इसे ध्यान में रखते हुए हम सभी को पानी का विवेकपूर्ण उपयोग और इसके संरक्षण व संवर्धन में विशेष ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि पानी का महत्व की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के लिए जल जतन अभियान चलाया जा रहा है. गुरूर ब्लॉक में भूजल स्तर अत्यंत नीचे चला गया है, जिससे वर्तमान में पूरे प्रदेश में गुरूर क्रिटीकल जोन में शामिल है. इसे ध्यान में रखते हुए पूरे जिलेवासियों को पानी के संरक्षण व संवर्धन के लिए सचेत रहने की आवश्यकता है.

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