



जांजगीर चांपा: नीम जितना कड़वा होता है, स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से उतना ही फायदेमंद है. नीम का पेड़ औसतन 20 से 25 मीटर ऊंचा होता है. यह सदाबहार पेड़ है और इसकी शाखाएं खुरदरी भूरे रंग की होती है. नीम की पत्तियां चमकदार हरे रंग की होती है प्रत्येक सींक पर नव पर्णक थोड़ा मुड़े हुए और उपर से चमकदार नीचे से खुरदरे होते है. इसकी एक टहनी में करीब 12-15 पत्ते पाए जाते है. इसके फूल सफ़ेद रंग के होते हैं. जांजगीर जिला हॉस्पिटल के आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. फणींद्र भूषण दीवान ने बताया कि नीम के प्रत्येक भाग में रक्तशोधक गुण भरे पड़े है. नीम स्कीन संबंधी बीमारी को दूर करने में सहायक है और खून को भी साफ करने में मददगार है.



चर्म रोग से राहत दिलाता है नीम का तेल
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. फणींद्र भूषण दीवान ने बताया कि प्राचीन काल से ही नीम का उपयोग औषधि के तौर पर किया जा रहा है. नीम के पेड़ का छाल, पत्ते, टहनियां सभी औषधि के तौर पर उपयोग में लाया जाता है. खास तौर पर त्वचा के रोगों में इसका प्रयोग किया जा जाता है. नीम के तेल लगाने से त्वचा में खुजली, दाद, या अन्य स्कीन संबंधी बीमारियों में राहत मिलती है. नीम का पत्तों का रस निकालकर पीने से कई बीमारियां दूर होती है. नीम में मौजूद एंटीबायोटिक, एंटीसेफ्टिक गुण ब्लड को साफ करने में सहायक है.