



उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। टोड़ी फतेहपुर थाना क्षेत्र में पूर्व प्रधान संजय पटेल ने अपनी गर्लफ्रेंड रचना यादव (35) की गला घोंटकर हत्या कर दी। साक्ष्य छिपाने आरोपी ने रचना के शव के 7 टुकड़े कर अलग-अलग जगह फेंक दिया। किशोरपुरा गांव में यह सनसीखेज वारदात 9 अगस्त को हुई थी।



पुलिस के मुताबिक, रचना यादव हत्याकांड में पूर्व प्रधान संजय पटेल के साथ उसका भतीजा संदीप पटेल और प्रदीप उर्फ दीपक अहिरवार भी शामिल है। दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, लेकिन प्रदीप अहिरवार फरार है। पुलिस उसे तलाश रही है।
कैसे हुआ खुलासा? कुएं से मिला शव
किशोरपुरा गांव में रचना के गुमशुदगी की चर्चाएं थीं, इस बीच एक किसान के खेत में बने कुएं से बदबू आ रही थी। छानबीन की गई तो पता चला किसी का शव पड़ा है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कुएं से दो बोरियां निकाली। जिसमें महिला का धड़ और जांघ के हिस्से मिले।
पुलिस ने कुआं खाली कराया तो एक बोरी में उसका हाथ मिला, लेकिन सिर नहीं मिला। जिस कारण शिनाख्त कर पाना पुलिस के लिए मुश्किल हो रहा था। हालांकि, बाद में रचना के भाई ने पुष्टि की। बताया, संजय पटेल ने फोन कर बहन के हत्या की धमकी दी थी।
नदी से बरामद किया रचना का सिर
पुलिस ने 18 अगस्त को पोस्टमॉर्टम के बाद रचना का अंतिम संस्कार करा दिया। साथ ही जांच के लिए 18 टीमें बनाईं। हत्या की पुष्टि होने पर पूर्व प्रधान संजय पटेल और उसके भतीजे संदीप को गिरफ्तार किया। साथ ही लखेरी नदी से रचना का सिर बरामद किया।
क्यों हुई रचना यादव हत्या?
मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के मैलवारा गांव निवासी रचना यादव की दो शादियां हुईं, लेकिन दोनों रिश्ते टूट गए। रचना ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ रेप और हत्या की कोशिश का केस दर्ज कराया था। संजय इस केस में उसकी मदद कर रहा था।
मदद के दौरान ही रचना और संजय में नजदीकियां बढ़ीं और दोनों एक-दूसरे से प्रेम करने लगे। बाद में रचना संजय पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी। जबकि, संजय शादी के लिए तैयार नहीं था। काफी समझाने के बाद भी जब वह नहीं मानी तो हत्या की साजिश रची।
कैसे दिया वारदात को अंजाम?
संजय, संदीप और प्रदीप ने 9 अगस्त को रचना को कार में घुमाने के बहाने बुलाया। कार में ही गला घोंटकर हत्या कर दी। फिर किशोरपुरा गांव के पास कुएं पर शव के 7 टुकड़े कर तीन बोरियां कुएं में फेंक दी और बाकी हिस्से 7 किलोमीटर दूर नदी में डाल दिए।