



बैंकाक: भारत के पड़ोसी देश थाइलैंड और कंबोडिया के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंचता दिख रहा है। कंबोडिया ने ऐलान किया है कि वह थाइलैंड के साथ सीमा तनाव को देखते हुए नागरिकों की सेना में अनिवार्य भर्ती शुरू करने जा रहा है। कंबोडिया के पीएम हुन मानेट ने सोमवार को कहा कि सेना में नागरिकों की अनिवार्य भर्ती अगले साल से शुरू हो जाएगी। कंबोडिया के कानून में साल 2006 में सैन्य भर्ती को अनिवार्य बनाने वाले प्रावधान को लागू किया गया था। कंबोडिया और थाइलैंड के बीच इन दिनों तनाव काफी बढ़ा हुआ है।



यह पूरा विवाद उस समय भड़का जब 28 मई को कंबोडिया के एक सैनिक की विवादित सीमा पर गोलीबारी में मौत हो गई। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा को बंद कर दिया गया है। कंबोडिया ने इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में एक याचिका दायर की है। यही नहीं थाइलैंड से आने वाले कुछ आयात को भी रोक दिया है। वहीं थाइलैंड ने अपने पीएम पेटोंगटार्न शिनवात्रा को सस्पेंड कर दिया है। शिनवात्रा की कंबोडिया के पूर्व पीएम हुन सेन के साथ बातचीत लीक हो गई थी।
कंबोडिया की सेना में 2 लाख जवान
कंबोडिया के पीएम हुन मैनेट ने एक सैन्य प्रशिक्षण सेटर में कहा, ‘टकराव का यह दौर उनके लिए एक सबक की तरह से है। यह हमारी सेना की समीक्षा, आकलन और अपने लक्ष्य स्थापित करने के लिए एक मौका है।’ कंबोडिया की संसद ने साल 2006 में एक कानून लागू किया था जिसमें कहा गया था कि 18 से 30 साल के सभी कंबोडियाई युवकों को सैन्य प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा। यह प्रशिक्षण 18 महीने का होगा। अभी तक इस कानून को लागू नहीं किया गया था। अब इसे कर दिया गया है।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के वर्ल्ड फैक्टबुक का अनुमान है कि कंबोडिया की सेना में 2 लाख जवान हैं। वहीं थाइलैंड की सेना में करीब साढ़े 3 लाख जवान हैं। अपने भाषण में कंबोडिया के पीएम ने देश से अपील की कि वह सैन्य बजट को बढ़ाए। उन्होंने थाइलैंड से भी कहा कि वह बंद की गई सीमा को फिर से खोल दे। कंबोडिया में चीन ने हाल ही में एक विशाल नेवल बेस बनाया है। चीन कंबोडिया में अपनी उपस्थिति और प्रभाव बढ़ा रहा है। चीन ने काफी हथियार भी कंबोडिया को दिया है।
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