



भोपाल: भोपाल में हिंदू लड़कियों (Hindu Girls) को लव जिहाद का शिकार बनाकर उनसे दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग (Rape and Blackmail) के बहुचर्चित मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की जांच में बड़ा राजफाश हुआ है। तीन से पांच मई के बीच आए आयोग के जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पीड़ित लड़कियों को मतांतरण के लिए मजबूर किया जाता था।



इस अपराध के पीछे बड़ा संगठित नेटवर्क हो सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा कहा गया है कि आरोपियों ने छात्राओं को महंगे उपहार, वस्त्र व मोटरसाइकिलों के माध्यम से आकर्षित कर प्रेमजाल में फंसाया गया। उन्हें नशीला पदार्थ खिलाकर उनकी आपत्तिजनक तस्वीरें खींची गईं। इन तस्वीरों के माध्यम से ब्लैकमेल किया।
अभी तक सामने आ चुकीं छह पीड़ित लड़कियां
- इस प्रकरण में अभी तक छह पीड़ित लड़कियां सामने आ चुकी हैं, इनमें दो सगी बहनें हैं। प्रदेश के अन्य जिलों में भी लव जिहाद के मामले सामने आए हैं। आयोग ने कहा है कि आरोपियों के विरुद्ध संगठित अपराध से संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।
- रिपोर्ट में पुलिस-प्रशासन, शैक्षणिक संस्थानों और मीडिया के लिए एडवाइजरी भी जारी की है। इस पर अमल कराने के लिए मुख्यमंत्री और राज्यपाल को रिपोर्ट भेजी गई है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी कॉलेजों को प्रेवेंशन ऑफ सेक्सुअल हरासमेंट नियमों के अनुपालन की रिपोर्ट जिला प्रशासन को अनिवार्य प्रस्तुत करनी चाहिए। शैक्षिक संस्थानों को शिकायत हेल्पलाइन नंबर व ईमेल आईडी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने चाहिए।
- जिन संस्थानों में सरकारी योजनाओं के अंतर्गत छात्रवृत्ति या मुफ्त शिक्षा दी जा रही है, वहां के छात्रों की उपस्थिति, कॉलेज छोड़ने के कारणों आदि का लेखा-जोखा रखा जाए।
- राज्य की संस्थाओं को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए कि महिलाओं से संबंधित योजनाओं की धन राशि अथवा कौशल विकास के लिए प्राप्त राशि का क्या उपयोग किया गया।
- वहीं राज्य सरकार को जांच करानी चाहिए कि योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए कोई रैकेट तो नहीं चल रहा। शिक्षण संस्थानों द्वारा सस्ते दामों पर ली गई भूमि तथा छात्रवृत्ति की योजनाओं का दुरूपयोग किया जा रहा है और शिक्षा के नाम पर धनार्जन करने की दुकानें चलाई जा रही हैं।
आयोग ने पूरे प्रदेश में जांच कराने के लिए कहा
आरोपियों का तरीका साजिशन नेटवर्क की तरह है। उनके द्वारा पीड़ित छात्राओं पर मतांतरण के लिए भी लगातार दबाव डाला जाता रहा। ऐसे मामलों का पता लगाने के लिए राज्यव्यापी जांच की जा सकती है। यह भी पता लगाया जा सकता है कि क्या इन्हें किसी संगठन द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।
आरोपियों की पारिवारिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है परंतु उनकी जीवनशैली अत्यधिक विलासितापूर्ण है, जिस कारण से ड्रग तस्करी जैसे संगठित अपराध की आशंकाओं की जांच की आवश्यकता है।
पीड़िताएं मानसिक और सामाजिक दबाव में हैं, फिर भी उन्होंने साहस दिखाते हुए एफआईआर कराई। थाना बागसेवनिया के पुलिसकर्मियों की तत्परता से आरोपी शीघ्र गिरफ्तार किए गए।
पुलिस-प्रशासन के लिए सुझाव दिए
महिला आयोग ने कहा कि पुलिसकर्मियों को संवेदनशीलता, संवाद कौशल में प्रशिक्षित किया जाए। पीड़िताओं को सदमे से उबारने के लिए काउंसलिंग कराएं। पुलिस द्वारा नियमित निगरानी की व्यवस्था की जानी चाहिए। मोहल्ला समितियों के साथ त्रैमासिक बैठकें अनिवार्य की जाएं।