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कवासी लखमा को मिलते थे हर माह दो करोड़ रुपये, ईडी के वकील ने किया दावा

रायपुर। शराब घोटाला मामले में ईडी की गिरफ्त में आए छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री और सुकमा के कांग्रेस विधायक कवासी लखमा की गिरफ्तारी की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। ईडी का दावा है कि शराब घोटाले में कवासी लखमा की संलिप्तता के डिजिटल साक्ष्य के साथ ही बैंकों में करोड़ों के लेन-देन के ठोस सुबूत मिले हैं।

इसके आधार पर ही उनकी गिरफ्तारी की गई। ईडी की ओर से विशेष कोर्ट में पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक डॉ. सौरभ पांडेय ने मीडियाकर्मियों से चर्चा करते हुए बताया कि इस केस में गिरफ्तार होकर जेल में बंद पूर्व आबकारी अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी ने ईडी को बयान दिया था।

21 जनवरी को कोर्ट में पेश होंगे लखमा

इसमें उसने बताया था कि पूर्व मंत्री को हर माह 50 लाख रुपये के अलावा अलग से डेढ़ करोड़ रुपये दिए जाते थे। जेल में बंद पूर्व बीएसपी कर्मी अरविंद सिंह ने भी अपने बयान में लखमा को हर माह 50 लाख रुपये देने की बात कही थी। शराब के इस पैसे से लखमा ने सुकमा में करोड़ों की लागत से घर और कांग्रेस कार्यालय भवन बनवाया था।

बताते चलें कि बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में लखमा को बुधवार को ईडी ने गिरफ्तार किया है। लंबी पूछताछ के बाद कवासी लखमा को ईडी ने कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने लखमा की सात दिन की रिमांड दी है। अब उन्हें 21 जनवरी को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

जांच में पूरा सहयोग फिर भी गिरफ्तारी की-रिजवी

बचाव पक्ष के अधिवक्ता फैजल रिजवी का कहना है कि सुकमा के विधायक कवासी लखमा ने ईडी की जांच में पूरा सहयोग किया है। ईडी ने अब तक उन्हें दो बार ही समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था। बाकी मौखिक आदेश पर जब-जब कहा गया, वे ईडी दफ्तर में गए थे।

गिरफ्तारी से पहले ईडी के अधिकारियों ने पूछा कि सुकमा में घर और कांग्रेस भवन किस पैसे से बनवाए? इस पर लखमा ने बताया कि 80 लाख का कर्ज लेने के साथ ही दस लाख रुपये बेटे हरीश लखमा से उधार और खुद की जमा पूंजी 15 लाख रुपये मिलाकर निर्माण कार्य कराया था।

अब मेरे बैंक खाते में 20 हजार रुपये भी नहीं बचे हैं। रिजवी ने कहा कि अगर कोई जांच में सहयोग कर रहा है और पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर हर बार पहुंच रहा है, तो उसे गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं थी। गिरफ्तार करने की मंशा कुछ और ही लग रही है।

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