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कांग्रेस को इस शर्मनाक हार के परिणाम आगे और भोगने होंगे, लीडरशिप पर उठने लगे सवाल

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावों में महाविकास आघाडी के घटक दलों कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) को इस शर्मनाक हार के फल आने वाले दिनों तक ही नहीं, बल्कि कई वर्षों तक भुगतने होंगे। यह हार सबसे ज्यादा शर्मनाक तो कांग्रेस के लिए है। जिस मुंबई शहर में कांग्रेस की स्थापना हुई, उस मुंबई में उसका प्रदर्शन सबसे दयनीय रहा। जिस प्रदेश में कांग्रेस सबसे ज्यादा ताकतवर रही, उस महाराष्ट्र में भी पार्टी सबसे खराब दशा में आ गई है। मुंबई में 36 सीटों में से केवल 3 विधायक और महाराष्ट्र में कुल 288 में से सिर्फ 15 सीटों पर ही उसे जीत मिली है।

बड़े नेता भी हारे

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कुल 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जबकि उद्धव ठाकरे और शरद पवार दोनों की पार्टियां क्रमशः 96 और 87 सीटों पर चुनाव लड़ी थीं। महाराष्ट्र में कांग्रेस की 75 सीटों पर तो बीजेपी से सीधी लड़ाई हुई, जिनमें से 69 सीटों पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी कराड़ साउथ विधानसभा सीट से लगभग 40 हजार वोटों से चुनाव हार गए हैं। पिछली विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोरात अपनी परंपरागत संगमनेर सीट पर 10 हजार से ज्यादा वोट से चुनाव हार गए। चांदीवली से पूर्व मंत्री नसीम खान भी 20 हजार वोट से चुनाव हार गए हैं।

महाराष्ट्र कांग्रेस में बढ़ेगी कलह
चुनाव के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस में अब कलह और बढ़ेगी। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने तो मतगणना के बीच ही कांग्रेस की लीडरशिप पर निशाना साधते हुए बयान दे दिया कि हमारी हार की एक वजह यह भी हो सकती है कि हमारी लीडरशिप ही बेहद खराब थी। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भाई जगताप ने भी एक टीवी कार्यक्रम में साफ कहा कि मुंबई में हार का कारण हमारे स्थानीय नेता हैं, जिनका ध्यान केवल खुद की तरफ रहा, कार्यकर्ताओं की तरफ किसी ने ध्यान ही नहीं दिया कि वह क्या कर रहा है। जगताप ने कहा कि सीट बंटवारे के साथ ही उम्मीदवार चयन के मामले में भी कोई गंभीर नहीं था।

राहुल रहे बेअसर
कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी जहां-जहां प्रचार करने पहुंचे, वहां पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के लिए यह नकारात्मक बात जा जा रही है। राहुल ने नंदुरबार, धामनगांव, नागपुर ईस्‍ट, गोंदिया, नांदेड़ नॉर्थ, चिमूर आदि में चुनाव प्रचार किया था, लेकिन कोई भी उम्मीदवार जीत नहीं सका। महाराष्ट्र में कुल 75 सीटें ऐसी थीं, जिन पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच की सीधी टक्कर थी, इनमें से ज्यादातर सीटों पर बीजेपी कांग्रेस को बुरी तरह से हराने में कामयाब रही है।

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