



नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल(Bhupesh Baghel) की उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने मनी लांड्रिंग कानून (PMLA) के एक प्रावधान को चुनौती दी थी। यह प्रावधान प्रवर्तन निदेशालय (ED) को धन शोधन मामलों में पूरक चार्जशीट दाखिल करने का अधिकार देता है।



कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि कानून में कोई दिक्कत नहीं है, समस्या उसके गलत इस्तेमाल में है। कोर्ट ने बघेल को हाईकोर्ट जाने की सलाह देते हुए कहा कि सच्चाई की खोज में नए साक्ष्यों को सामने लाने पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
बघेल की दलील
बघेल ने PMLA की धारा 44 में दिए गए स्पष्टीकरण को चुनौती दी थी। उनके मुताबिक, इस प्रावधान से ED एक ही मामले में टुकड़ों-टुकड़ों में कई शिकायतें दर्ज करती रहती है, जिससे केस लंबा खिंचता है और आरोपी के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार पर असर पड़ता है।
कोर्ट का जवाब
जस्टिस बागची ने कहा कि यह प्रावधान एक ‘सक्षम बनाने वाला’ प्रावधान है। जांच अपराध के आधार पर होती है, न कि केवल किसी आरोपी के खिलाफ। आगे की जांच से सच सामने आता है तो उस पर रोक नहीं हो सकती। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आगे की जांच आरोपी के हित में भी हो सकती है, क्योंकि इससे यह साबित हो सकता है कि वह अपराध में शामिल नहीं है।
Jagatbhumi Just another WordPress site
