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सब्‍जीवाले के सोने के दांत और 25000 की LIC… जिसे 15 साल तक तलाशती रही पुलिस, उसकी हकीकत ने उड़ा दिए होश

नई दिल्ली: हिंदी फिल्मों में पुलिस के अफसर अक्सर एक डायलॉग बोलते हैं कि मुजरिम भले कितना भी शातिर क्यों ना हो, कोई ना कोई सुराग जरूर छोड़ता है। जुर्म की जो कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, वो भी कुछ ऐसी ही है। एक आदमी अपने मालिक के 40 हजार रुपये लेकर फरार हो गया और पहचान बदलकर दूसरे राज्य में रहने लगा। 15 साल तक वो पुलिस की नजरों से बचा रहा, लेकिन उसने एक चूक कर दी और इसी के जरिए पुलिस की हथकड़ी उसके हाथों तक पहुंच गई।

कहानी शुरू होती है साल 2007 से। जगह थी महाराष्ट्र के मुंबई में दादर का हिंदमाता इलाका। 24 साल का प्रवीण जडेजा यहां अमित गंगर नाम के कपड़ा व्यापारी की दुकान पर काम करता था। एक दिन अमित ने उसे वडाला में कुछ व्यापारियों से 40 हजार रुपये की रकम लाने के लिए भेजा। हालांकि, जडेजा खाली हाथ लौटा और अमित से कहा कि रास्ते में जब वह एक सार्वजनिक शौचालय में गया, तो किसी ने रुपयों का बैग चुरा लिया।

अमित को प्रवीण जडेजा की बातों पर भरोसा नहीं हुआ और उन्होंने उसके खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करा दी। पुलिस ने प्रवीण को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की, लेकिन उसने फिर से वही सार्वजनिक शौचालय वाली कहानी सुनाई। इसके बाद उसकी पेशी कोर्ट में हुई और बाद में वो जमानत लेकर बाहर आ गया। अभी कुछ ही दिन बीते होंगे कि अचानक प्रवीण गायब हो गया।

पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ की, लेकिन उसके बारे में कहीं से कोई सुराग नहीं मिला। कोर्ट ने भी प्रवीण को कई बार समन भेजा, लेकिन एक भी तारीख पर वो हाजिर नहीं हुआ। प्रवीण कहां जाकर छिप गया, किसी को नहीं पता था। ऐसे में कोर्ट ने प्रवीण को भगोड़ा घोषित कर दिया। प्रवीण को तलाशने की जिम्मदारी उस समय के पुलिस इंस्पेक्टर महेश लामखेड़े को सौंपी गई।

सोने के दो दांत और वोटर लिस्ट

महेश लामखेड़े ने 6 पुलिसवालों की एक टीम बनाई और प्रवीण के बारे में सुराग तलाशने शुरू कर दिए। तफ्तीश में एक बात निकलकर सामने आई कि प्रवीण महाराष्ट्र से कहीं बाहर जाकर छिप गया है। ऐसे में महेश ने अपने मुखबिरों को एक्टिव किया। पुलिस के पास केवल प्रवीण का नाम, उसका पुराना एड्रेस और थोड़ी सी वो जानकारी थी, जो दुकान के मालिक अमित गंगर ने उन्हें बताई।

प्रवीण के बारे में डिटेल बताते हुए दुकान मालिक अमित ने एक खास बात बताई। उन्होंने बताया कि प्रवीण के आगे के दो दांत टूट हुए हैं और उसने उनकी जगह पर सोने के दांत लगवा रखे हैं। अब पुलिस टीम ने सरकार के डेटाबेस, मतदाता पहचान पत्र सूची जैसे दस्तावेजों को खंगालना शुरू किया और प्रवीण जडेजा नाम के ऐसे लोगों की एक लिस्ट बनाई, जिनकी उम्र उससे मेल खाती थी।

कभी सब्जी बेचता था, कभी कपड़े

आखिरकार पुलिस की मेहनत रंग लाई और टीम को कुछ ऐसे सुराग मिले, जो प्रवीण के गुजरात के कच्छ जिले में छिपे होने की तरफ इशारा कर रहे थे। हालांकि, कच्छ काफी बड़ा था और पुलिस की एक गलती प्रवीण को अलर्ट कर सकती थी। ऐसे में पुलिस ने बहुत सावधानी से काम किया। कुछ दिनों बाद पता चला कि कच्छ में समुद्र तट से सटे मांडवी इलाके में प्रवीण छिपा हो सकता है।

पुलिस ने मांडवी में 10-12 ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार की, जिनका एक ही नाम था और उनकी उम्र प्रवीण से मेल खाती थी। इन सबसे पूछताछ हुई, लेकिन प्रवीण अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर था। इसकी वजह थी कि उसने अपना नाम बदलकर प्रदीप सिंह जडेजा रख लिया था। वो कभी कपड़े बेचने लगता था तो कभी सब्जी का ठेला लगाता था।

25 हजार के लालच में खुद आकर फंसा

अब पुलिस की टीम मांडवी इलाके में फैल गई और आखिर पता चल गया कि सोने के दांत वाला एक ही आदमी इस इलाके में रहता है। पुलिस ने खुफिया तौर पर उसकी पहचान की। इसके साथ ही उसका मोबाइल नंबर और घर का एड्रेस भी खोजा। अब मुजरिम आखों के सामने था, लेकिन पुलिस किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। डर था कि कहीं फिर से वो फरार ना हो जाए।

ऐसे में पुलिस ने एक प्लान बनाया। पुलिस को उसकी एक एलआईसी की पॉलिसी के बारे में पता चला। एक अफसर ने खुद को एलआईसी का अधिकारी बताकर उसे फोन किया और कहा कि उसकी 25 हजार वाली पॉलिसी मैच्योर हो गई है। अफसर ने कहा कि रकम लेने के लिए उसे मुंबई में एलआईसी ऑफिस आना होगा। पुलिस ने जैसा सोचा था, वैसा ही हुआ। प्रवीण मुंबई आया और 15 साल की तलाश के बाद आखिरकार पुलिस ने 2023 में उसे गिरफ्तार कर लिया।

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